
कुंभ मेला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और 2025 में इसे 144 वर्षों के बाद महाकुंभ के रूप में आयोजित किया जाएगा। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है।
कुंभ मेला का धार्मिक महत्व: यह मेला समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, जहां अमृत कलश की प्राप्ति के दौरान चार स्थानों पर अमृत की चार बूँदें गिरीं – प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक।
12 साल में एक बार आयोजित होता है कुंभ मेला: जुपिटर ग्रह के सूर्य के चारों ओर 12 वर्षों में एक चक्कर पूरा करने के आधार पर कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित किया जाता है।
महाकुंभ मेला: कुंभ मेला के 12 चक्रों के बाद महाकुंभ मेला हर 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। 2025 में यह महाकुंभ मेला प्रयागराज में आयोजित होगा।
कुंभ मेला की ऐतिहासिक पहचान: कुंभ मेला का उल्लेख महाभारत, ऋग्वेद और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इसे चीनी यात्री ह्यू सांग ने भी दर्ज किया था।
कुंभ मेला में साधु संतों का प्रमुख स्थान: साधु संतों की अखाड़ों में प्रतिस्पर्धा होती है कि कौन पहले स्नान करेगा, और हर अखाड़ा अपनी पद्धतियों के अनुसार कार्य करता है। इनमें शैव, वैष्णव और उदासीन अखाड़े प्रमुख हैं।
कुंभ मेला में लाखों लोग आते हैं: 1984 में 10 लाख से अधिक, 1996 में 25 लाख और 2019 में 24 करोड़ लोग कुंभ मेला में आए थे।
कुंभ मेला का भव्य आयोजन: प्रशासनिक तैयारियां, जैसे कि परिवहन, सैनिटेशन, पावर सप्लाई, और सुरक्षा, कुंभ मेला के आयोजन के लिए भारी मात्रा में निवेश किया जाता है। 2019 में 20000 बिस्तरों और 122000 टॉयलेट्स की व्यवस्था की गई थी।
सरकार का निवेश और लाभ: 2019 के कुंभ में यूपी सरकार ने 4236 करोड़ का निवेश किया था, जिससे 12000 करोड़ का रिटर्न मिला था। 2025 में अनुमानित खर्च 77500 करोड़ का है।
नई तकनीकों का प्रयोग: 2025 के महाकुंभ में 2700 CCTV कैमरा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे।
ग्रीन कुंभ इनिशिएटिव: 2025 के महाकुंभ में प्लास्टिक फ्री और इको-फ्रेंडली पहल की जाएगी। इसमें शून्य अपशिष्ट और प्लास्टिक मुक्त अभियान शामिल हैं।
रेलवे और सड़क नेटवर्क की व्यवस्था: कुंभ मेला के लिए विशेष ट्रेनें और सड़क मार्ग तैयार किए जा रहे हैं। प्रयागराज को काशी से जोड़ने के लिए एक नया पुल और गंगा एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं।
विशेष ट्रेनें और टिकट व्यवस्था: 13000 विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी, और यात्रियों के लिए रंग कोडेड टिकट प्रणाली लागू की जाएगी, ताकि यात्रा सरल हो सके।
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक: कुंभ मेला केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह पूरे देश की सांस्कृतिक एकता और विविधता का प्रतीक है, जो हर वर्ग और समुदाय को एकत्र करता है।
महाकुंभ 2025 की तिथियां: महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। इसमें पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और माघी पूर्णिमा जैसी प्रमुख तिथियां शामिल होंगी।
कुंभ मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जिससे पर्यटन, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।