UCC in Uttarakhand :उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने से राज्य में कई बड़े बदलाव होंगे, जो विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और कानूनी पहलुओं पर असर डालेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2025 में यूसीसी को लागू करने की घोषणा की है, और इस कदम से उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां यह कानून लागू किया जाएगा।
विवाह रजिस्ट्रेशन: उत्तराखंड में सभी धर्मों के लोगों के लिए शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया जाएगा। शादी के 6 महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। इससे पहले, 26 मार्च 2010 से पहले की शादियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं था, लेकिन अब इसे अनिवार्य किया गया है। रजिस्ट्रेशन न कराने पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो ₹2,50,000 तक हो सकता है।
गुजारा भत्ता और तलाक: यूसीसी लागू होने के बाद सभी धर्मों और समुदायों के लिए तलाक, गुजारा भत्ता, और विरासत के संबंध में समान कानून होंगे। इसका मतलब है कि अब इन मुद्दों पर किसी भी धर्म के लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं होंगे। यह समानता सुनिश्चित करेगा और विवादों को हल करने में मदद करेगा।
नाजायज बच्चों में भेदभाव खत्म: यूसीसी लागू होने के बाद नाजायज बच्चों और वैध बच्चों के बीच कोई भेदभाव नहीं होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी बच्चों को समान अधिकार मिलें, चाहे उनका जन्म वैध विवाह में हुआ हो या नहीं।
लिविंग रिलेशनशिप: लिविंग रिलेशनशिप (साझी जीवन) में रहने वाले जोड़ों के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा। यदि कोई जोड़ा इस रिश्ते को समाप्त करना चाहता है, तो इसके लिए भी स्पष्ट कानूनी दिशा-निर्देश होंगे। इससे लिविंग रिलेशनशिप के तहत रहने वाले लोगों के अधिकारों और कर्तव्यों का स्पष्ट निर्धारण होगा।
बच्चा गोद लेने के अधिकार: यूसीसी के तहत, बच्चा गोद लेने के अधिकारों में भी बदलाव आएंगे। अब सभी को समान अधिकार मिलेंगे, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो। इससे बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए परिवारों को प्रोत्साहन मिलेगा।
संपत्ति का अधिकार: बेटियों को संपत्ति के अधिकारों में भी समानता मिलेगी। पहले कुछ समाजों में बेटियों को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता था, लेकिन यूसीसी लागू होने के बाद उन्हें भी बेटे की तरह संपत्ति में हिस्सा मिलेगा। इससे महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता: यूसीसी के तहत, अब विवाह, तलाक, संपत्ति का बंटवारा, और अन्य परिवारिक मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। सभी कानूनी प्रक्रियाएं समान होंगी, जिससे लोगों को न्याय में कोई भेदभाव नहीं होगा।
उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद, यह राज्य में सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए कई सालों तक लोगों से राय ली और विशेषज्ञों की कमेटी बनाई। इस प्रक्रिया में लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई, जिसे सरकार ने मंजूरी दी।
इस परिवर्तन को लागू करने के बाद, उत्तराखंड में एक नया कानूनी परिदृश्य होगा, जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलेंगे। यह कदम न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश में समान नागरिक संहिता के पक्ष में एक मिसाल बनेगा।