EPFO के नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ₹15,000 की मौजूदा वेतन सीमा को बढ़ाकर ₹25,000 प्रति माह करने पर विचार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो लाखों कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर और PF योगदान में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
EPFO वेतन सीमा में बदलाव की तैयारी: ₹25,000 की नई लिमिट से कर्मचारियों की सैलरी और PF पर क्या असर पड़ेगा?

EPFO क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
EPFO यानी Employees’ Provident Fund Organisation भारत सरकार की एक संस्था है जो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अंतर्गत दो मुख्य योजनाएं आती हैं:
- EPF (Employees’ Provident Fund): रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा के लिए।
- EPS (Employees’ Pension Scheme): पेंशन लाभ के लिए।
वर्तमान में, जिन कर्मचारियों की मासिक वेतन ₹15,000 या उससे कम है, उनके लिए EPF और EPS में योगदान अनिवार्य है। इससे अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारी स्वेच्छा से इसमें शामिल हो सकते हैं।
प्रस्तावित बदलाव: ₹25,000 की नई वेतन सीमा
सरकार अब इस सीमा को ₹25,000 प्रति माह तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसका मतलब:
- जिनका मूल वेतन ₹15,000 से ₹25,000 के बीच है, उन्हें अब EPF और EPS में अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ेगा।
- इससे 10 मिलियन से अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा।
सैलरी पर क्या असर पड़ेगा?
इस बदलाव का असर कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी यानी हाथ में आने वाली सैलरी पर पड़ सकता है।
- EPF में योगदान बढ़ेगा, जिससे PF खाते में जमा राशि ज्यादा होगी।
- लेकिन नेट सैलरी घट सकती है, क्योंकि PF कटौती बढ़ेगी।
उदाहरण के लिए:
| वेतन | मौजूदा PF कटौती | प्रस्तावित PF कटौती | हाथ में सैलरी में अंतर |
| ₹20,000 | ₹0 (स्वैच्छिक) | ₹2,400 (अनिवार्य) | ₹2,400 की कमी |
PF योगदान कैसे होता है?
EPF में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं:
- कर्मचारी का योगदान: मूल वेतन का 12%
- नियोक्ता का योगदान: 12% जिसमें से 8.33% EPS में जाता है
इससे PF खाते में हर महीने अच्छी-खासी रकम जमा होती है, जो रिटायरमेंट के समय बड़ा फंड बनाती है।
कर्मचारियों के लिए फायदे
- लंबी अवधि की बचत: PF में जमा राशि पर ब्याज मिलता है।
- पेंशन लाभ: EPS के तहत रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन।
- बीमा सुरक्षा: EDLI योजना के तहत बीमा कवर।
चुनौतियां और चिंताएं
- कम आय वाले कर्मचारियों की नेट सैलरी घटेगी, जिससे मासिक खर्चों पर असर पड़ सकता है।
- कुछ कर्मचारी स्वैच्छिक PF से बचना चाहते हैं, लेकिन नई सीमा लागू होने पर उन्हें अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ेगा।
नियोक्ताओं पर असर
- नियोक्ताओं को अधिक योगदान देना पड़ेगा, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी।
- उन्हें HR और Payroll सिस्टम में बदलाव करने होंगे।
कब लागू होगा यह नियम?
यह प्रस्ताव अभी EPFO बोर्ड की समीक्षा के अधीन है और दिसंबर या जनवरी 2026 में अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
EPFO फंड की स्थिति
EPFO के पास वर्तमान में ₹18 लाख करोड़ से अधिक का फंड है। वेतन सीमा बढ़ने से यह फंड और मजबूत होगा, जिससे भविष्य में बेहतर ब्याज दर और सेवाएं मिल सकती हैं।
क्या यह सभी कर्मचारियों पर लागू होगा?
- यह नियम संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों पर लागू होगा।
- अनौपचारिक क्षेत्र या स्वतंत्र पेशेवरों पर इसका असर नहीं होगा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
“PF में ज्यादा पैसा जमा होगा, लेकिन सैलरी कम हो जाएगी – ये सही है या गलत?”
“सरकार को कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी का भी ध्यान रखना चाहिए।”
“रिटायरमेंट के लिए बचत जरूरी है, PF अच्छा विकल्प है।”
निष्कर्ष: क्या यह बदलाव सही दिशा में है?
सरकार का उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाना है, जो सराहनीय है। हालांकि, कर्मचारियों की वर्तमान जरूरतों और मासिक खर्चों को भी ध्यान में रखना जरूरी है।
अगर यह नियम लागू होता है, तो:
- कर्मचारियों को लंबी अवधि में फायदा होगा।
- लेकिन तुरंत सैलरी में कमी महसूस हो सकती है।
सरकार को चाहिए कि वह कर्मचारियों को इस बदलाव के फायदे स्पष्ट रूप से बताए और जरूरत पड़ने पर टैक्स में राहत या अन्य उपाय भी करे।


