From the Ashes of June 12: The Name That Survived — Vishwas Kumar Ramesh and the Haunting Tale of Flight AI171

12 जून की राख से निकला एक नाम: विश्वास कुमार रमेश – फ्लाइट AI171 की त्रासदी और एक जीवित लाश की कहानी

12 जून 2025, दोपहर का वक्त। अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 ने जैसे ही आसमान की ओर रुख किया, किसी को अंदाजा नहीं था कि यह उड़ान महज 40 सेकंड की होगी। लंदन के लिए रवाना हुआ यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान 1.7 किलोमीटर दूर जाकर एक इमारत से टकरा गया और आग के गोले में तब्दील हो गया। इस हादसे में 241 लोगों की जान चली गई। लेकिन एक शख्स—विश्वास कुमार रमेश—जिंदा बच निकले। पर क्या वाकई?

✈️ हादसे की भयावह उड़ान: 40 सेकंड की तबाही

AI171 ने दोपहर 1:38:39 पर टेक-ऑफ किया। महज तीन सेकंड बाद विमान ने 180 नॉट की अधिकतम गति पकड़ी। तभी दोनों इंजनों के फ्यूल स्विच कट ऑफ मोड में चले गए। 1:39:05 पर पायलटों ने संकट कॉल जारी किया और 1:39:19 पर विमान बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास की छत से टकरा गया।

🔥 राख में तब्दील हुआ आसमान

हादसे का दृश्य इतना भयावह था कि चश्मदीदों ने कहा, “ऐसा लगा जैसे सूरज फट गया हो।” विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ विश्वास कुमार रमेश ही जीवित बचे। वह सीट नंबर 11A पर बैठे थे, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी। विमान का वह हिस्सा अलग होकर छात्रावास के मैदान में गिरा, जिससे रमेश को बाहर निकलने का मौका मिला।

🧍‍♂️ एक जीवित लाश: विश्वास कुमार रमेश

रमेश को मामूली जलने और कटने की चोटें आईं। अस्पताल में 5 दिन बिताने के बाद उन्हें छुट्टी मिल गई। लेकिन असली जख्म उनके मन में थे। उन्होंने कहा, काश मैं भी उसी प्लेन में रह जाता।” अपने भाई अजय को खोने का ग़म और हादसे की यादें उन्हें हर रात सोने नहीं देतीं। वह कहते हैं, जब आंख बंद करता हूं तो प्लेन नहीं, आग दिखती है। जब चलने की कोशिश करता हूं तो चीखें गूंजती हैं।”

🧠 मनोवैज्ञानिक आघात और अपराधबोध

रमेश अब लंदन लौट चुके हैं और हर दिन थेरेपी के लिए जाते हैं। उनके पिता और चचेरे भाई के अनुसार वह अंतर्मुखी हो गए हैं, किसी से बात नहीं करते, फोन कॉल से बचते हैं। उन्हें अपने भाई की मौत का अपराधबोध है। वह उस दिन की तारीख—12 जून—को भूल नहीं पाते। उनके लिए हर दिन वही तारीख है।

🛫 तकनीकी खामी या मानवीय चूक?

जांच में सामने आया कि टेक-ऑफ के 20 सेकंड बाद इंजन नंबर दो में फ्यूल प्रेशर गिरा, लेकिन ऑटो पायलट ने सिस्टम बंद नहीं किया। अमेरिका की FAA ने भारत की एविएशन सेफ्टी पर सवाल उठाए। भारत ने अपने स्टैंडर्ड्स का हवाला दिया, लेकिन कई देशों ने भारत की एयरलाइनों के तकनीकी ऑडिट की पेशकश की।

⚖️ न्याय की मांग और सुप्रीम कोर्ट की दखल

कैप्टन सुमीत सबरवाल के पिता पुष्कराज सबरवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें न्यायिक निगरानी में जांच की मांग की गई है। उनका आरोप है कि जांच में पारदर्शिता की कमी है और पायलट की गलती को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।

💰 मुआवजा और ट्रस्ट की स्थापना

Air India ने मृतकों के परिवारों और रमेश को ₹25 लाख की अंतरिम राशि दी है। Tata Group ने ₹1 करोड़ की अनुग्रह राशि देने का वादा किया है। इसके लिए AI171 मेमोरियल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की स्थापना की गई है। हालांकि कई परिवार अभी भी भुगतान का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि दस्तावेजों की प्रक्रिया में देरी हो रही है।

🛑 भारत की एविएशन सेफ्टी पर सवाल

पिछले 5 वर्षों में भारत में 23 माइनर और 4 मेजर एविएशन हादसे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जांच रिपोर्ट पारदर्शिता से ज्यादा मानवीय चूकों पर केंद्रित है। यॉर्क यूनिवर्सिटी के इंजीनियर जॉन मैकडर्मिड के अनुसार, टेक-ऑफ के तुरंत बाद दोहरे इंजन की विफलता एक असामान्य और गंभीर घटना है।

📅 हर दिन 12 जून है

विश्वास कुमार रमेश के लिए अब हर दिन 12 जून है—वो दिन जब उन्होंने अपनी दुनिया खो दी। वह अकेले हैं, लेकिन उनके भीतर एक तूफान है। उनकी कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं, बल्कि उस मानसिक त्रासदी की है जो किसी भी बचे हुए इंसान को भीतर से तोड़ सकती है।

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